Charminar All Information In Hindi :चारमीनार को कुतुब शाही वंश के पांचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था
विषय सूची
चारमीनार का अर्थ क्या है
सामान्य तौर पर चारमीनार का अर्थ चार मीनारों या टॉवर से है। उर्दू में चार का अर्थ है “चार” और मीनार का अर्थ “टॉवर” से है। हर मीनार एक इस्लामी नेता को प्रदर्शित करती है। चारमीनार धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखती है। इसके अलावा चारमीनार कुली कुतुब शाह और भागमती के बीच प्रेम और रोमांस का भी प्रतीक भी है।
चारमीनार का इतिहास
चारमीनार को कुतुब शाही वंश के पांचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था जब उन्होंने अपनी राजधानी को गोलकुंडा से हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था। इतिहासकारों के अनुसार, पानी की अपर्याप्तता और प्लेग ने कुली कुतुब शाही को अपनी राजधानी स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने एक वादा किया था, कि अगर उनके शहर में लोगों की पीड़ा कम हो गई तो वह एक स्मारक बनवाएंगे। चारमीनार शहर से प्लेग के निर्णय और उन्मूलन के लिए बनाया गया था।
कुछ किंवदंतियों के अनुसार कुली कुतुब शाह ने अपनी प्यारी पत्नी बाघमती को इस स्थल पर देखा था। उन्होंने अपनी पत्नी के लिए अपने शाश्वत प्रेम के प्रतीक के रूप में चारमीनार का निर्माण किया। एक किंवदंती यह भी है कि चारमीनार के नीचे एक गुप्त सुरंग है जो इसे गोलकुंडा किले से जोड़ती है। यह आपात स्थिति के समय में शाही परिवार के पलायन के लिए बनाई गई थी।
चारमीनार की संरचना
Charminar All Information In Hindi : इस खूबसूरत और ऐतिहासिक चारमीनार के निर्माण में संगमरमर, ग्रेनाइट और मोर्टार के चुना पत्थरो का प्रयोग किया गया है। इस भव्य मीनार के निर्माण के लिए पार्शियन वास्तुकार को बुलाया गया था।
कुतुबमीनार को इंडो इस्लामिक वास्तुकला के प्रयोग से निर्माण किया गया है लेकिन इसमें फारसी वास्तुकला के भी तत्व देखने को मिलते हैं। इस मीनार में स्थित भव्य चारमीनार कमल के पतियों के आधार के संरचना पर खड़ी हुई है, जो काफी ज्यादा आकर्षक लगते हैं और इनके दीवारों पर भी बेहद सुंदर और आकर्षक नक्काशी किए गए हैं।
यह चारमीनार वर्गाकार आकार में बनाई गई है, जो चौकोर खंभों से बने गए हैं और इस मीनार के हर कोने में महराबनुमा शाही दरवाजे बनाए गए हैं। कुतुब मीनार के प्रत्येक मेहराब और आकर्षक गुंबद में इस्लामी वास्तुकला का प्रभाव देखने को मिलता है।
क़ुतुब मीनार करीबन 28 मीटर ऊंची भव्य स्मारक है। जिसके सिर पर छोटे-छोटे गुंबद बने हुए हैं, जो इस स्मारक की शोभा को और भी बढ़ा देते हैं। इसमें दो बालकनी अभी लगाई गई है, जहां से इस शहर के आसपास का दृश्य बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगता है।
चारमीनार के जो भव्य मेहराब है, वे अलग-अलग सड़कों पर खुलते हैं। इन मेहराबों की चौड़ाई करीबन 11 मीटर है एवं ऊंचाई 20 मीटर है। कुतुब मीनार के हर मेहराब के दीवारों पर घड़ी लगी हुई है। बताया जाता है यह घड़ी साल 1889 में लगाया गया था।
इस मीनार के अंदर एक छोटा सा फवारा भी है, जो मीनार की खूबसूरती को और भी ज्यादा आकर्षक बनाते हैं। इस स्मारक के अंदर मुख्य गैलरी में करीबन 45 प्रार्थना स्थल है। यहां के नामाज स्थान काफी खुला है, जहां हर शुक्रवार के दिन बहुत से इस्लाम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करने आते हैं।
मीनार के बाकी के हिस्से में कुतुब शाही दरबार हुआ करते थे और यह अपनी अनूठी वास्तुशिल्प और शाही बनावट के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। मीनार के ऊपरी हिस्से पर एक मस्जिद बना हुआ है, जिसका मुंह इस्लाम के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का मदीना की दिशा यानी पश्चिम की ओर किए हुए स्थित है।
क़ुतुब मीनार हर कोने पर एक छोटी छोटी मीनार बनी हुई है और उनमें नारों की ऊंचाई करीबन 24 मीटर है। इस तरह उन्हें लेकर इस मीनार की कुल ऊंचाई 54 मीटर हो जाती है। कुतुब मीनार के अंदर 149 घुमावदार सीढ़ियां बनी हुई है, जिसके जरिए ऊपर तक पहुंच सकते हैं। चार मीनार के अंदर indo-islamic वास्तुकला से एक गुप्त सुरंग का निर्माण भी किया गया है, जिन से जुड़ी कई सारी कहानियां और रहस्य हैं।
चारमीनार में भाग्यलक्ष्मी मंदिर
चारमीनार के बेस पर एक छोटा मंदिर है जिसे “भाग्यलक्ष्मी मंदिर” कहा जाता है जो काफी समय से विवादों का केंद्र रहा है। प्रमुख इस्लामी स्थलों में से एक में मौजूद मंदिर की विडंबना को परिभाषित करते हुए, इसकी उम्र के बारे में तर्क दिए गए हैं। हिंदू अखबार ने 2012 में एक फोटो प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि मंदिर चारमीनार जितना पुराना नहीं है। कई लोगों ने कहा कि यह हालिया संरचना है, स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 1957 और 1962 में चारमीनार में ली गई तस्वीरों में कोई भी मंदिर मौजूद नहीं था। चारमीनार देखने आने वाले लोग इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं।
चारमीनार में खरीदारी
चारमीनार कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन लिप स्मैकिंग डिशेज और शानदार सौदेबाजी के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती है। चारमीनार क्षेत्र में लाड बाज़ार सबसे पुराना और मुख्य बाजार है। यह चूड़ी, मोती, आभूषण, अर्ध-कीमती पत्थरों, चांदी के बर्तनों, कलामकारी चित्रों, साड़ियों, रेशम सामग्री, सोने की कढ़ाई वाले कपड़े, लाह की चूड़ियों, इटार और पारंपरिक खरा दुपट्टे के लिए लोकप्रिय है। इसके अलावा पर्यटक यहां से गोलकोंडा पेंटिंग, बिद्री वर्क और गोंगुरा अचार भी खरीद सकते हैं।
चारमीनार क्षेत्र मनोरम खाद्य पदार्थों के लिए भी प्रसिद्ध है जो हैदराबादी व्यंजनों का गौरव हैं। भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर खरीदारी करते हुए आप यहाँ उपलब्ध पारंपरिक खाद्य पदार्थों जैसे कि बिरयानी, मिर्ची का सालन, हलीम का स्वाद चख सकते हैं। इसके अलावा यहाँ प्रसिद्ध ईरानी चाय की चुस्की लेना न भूलें।
चारमीनार में मोती की शॉपिंग
हैदराबाद का चारमीनार प्रमुख पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त शॉपिंग के लिए भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां आस-पास लगने वाले बाजार यहां आने वाले सैलानियों को बहुत ज्यादा आकर्षित करते हैं, जहां से सैलानी यात्रा की याद में बहुत सारी शॉपिंग करते हैं।
चारमीनार के पास स्थित पत्थर गट्टी बाजार मोतियों के लिए बहुत ज्यादा मशहूर है। यहां पर अलग-अलग देशों से लोग मोती खरीदने के लिए आते हैं और यहां पर मोतियों के करीबन 14000 से भी ज्यादा दुकान है हैं। हालांकि यहां पर मोतियों की शॉपिंग करते समय ग्राहकों को सतर्क रहने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि यहां पर बहुत से दुकानों में असली मोती बताकर नकली मोती के समान बेचे जाते हैं।
ऐसे में सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त दुकानों से ही मोती खरीदने चाहिए ताकि उनके साथ धोखा ना हो। चारमीनार के पास स्थित लॉर्ड बाजार लाख की सुंदर चुडि़या, हैदराबादी कांजीवरम साड़ियां, आकर्षक गहने, खुबसूरत दुपट्टे, कलामकारी चित्रों, बिद्री वर्क, गोलकोंडा पेंटिंग और गोंगुरा अचार के लिए मशहूर हैं।
चारमीनार के आसपास लगने वाला रविवार बाजार जो खासकर रविवार के दिन ही लगता है काफी ज्यादा मशहूर है। इस दिन यहां पर भर भर के लोग शॉपिंग करने के लिए आते हैं और इस बाजार में घरेलू सजावट के बहुत से सामान बेचे जाते हैं। इसके साथ ही पुराने सिक्कों के कलेक्शन भी यहां पर बेचे जाते हैं।
चारमीनार के आसपास के बाजार में हर दिन रौनक बनी रहती है। खास करके ईद, दीपावली और अन्य त्योहारों के मौके पर यहां की शोभा और भी ज्यादा बढ़ जाती है। चारमीनार के आस-पास लगने वाले बाजार में शॉपिंग के अतिरिक्त लजीज पकवान का सैलानी आनंद उठाते हैं।
यहां के बाजार खाद पदार्थों के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां का मशहूर ईरानी चाय देश भर में प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त यहां आने वाले सैलानी हैदराबादी बिरयानी, हलीम, मिर्ची का सालन आदि का लजीज स्वाद चख सकते हैं।
चारमीनार में क्या खास है
चारमीनार भारत में एक स्मारक है। यह स्मारक 1591 ईस्वी में बनाई गई थी। यह हैदराबाद की सबसे प्रसिद्ध इमारत है और भारत की सबसे प्रसिद्ध इमारतों में से एक है। इसका निर्माण एक घातक प्लेग के अंत का जश्न मनाने के लिए मुहम्मद कुली कुतुब शाही द्वारा कराया गया था।
निष्कर्ष
हैदराबाद की पहचान।
लेख के जरिये चारमीनार हैदराबाद के बारे में सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है। आपको अच्छी तरह से समझ आया होगा।
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FAQ: Charminar All Information In Hindi
Q.चारमीनार की विशेषता क्या है?
A.चारमीनार के लंबे इतिहास में 400 से अधिक वर्षों के लिए इसकी शीर्ष मंजिल पर एक मस्जिद का अस्तित्व शामिल है। ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण, यह संरचना के आसपास के लोकप्रिय और व्यस्त स्थानीय बाजारों के लिए भी जाना जाता है, और हैदराबाद में सबसे अधिक बार आने वाले पर्यटक आकर्षणों में से एक बन गया है।
Q.चारमीनार की उम्र कितनी है?
A.चारमीनार हैदराबाद की पहचान है. लेकिन पिछले कई सालों से 428 साल पुरानी यह मीनार ख़स्ताहाल हो रही है.
Q.चारमीनार का मतलब क्या है?
A.चारमीनार दो शब्दों से मिलकर बना है। चार और मीनार। चार का अर्थ- संख्या से है और मीनार का अर्थ- टावर से है। ऐसे चारमीनार शब्द बना है।
Q.चारमीनार क्यों बनाया गया?
A.1.यह एक घातक प्लेग के अंत का जश्न मनाने के लिए मुहम्मद कुली कुतुब शाही द्वारा बनाया गया था।
2.चारमीनार मुसी नदी के किनारे पर स्थित है.
3.ऐसा कहा जाता है कि कुली कुतब शाही ने प्लेग के खात्मे के लिए प्रार्थना की और इसे मिटाने के लिए मस्जिद बनाने की कसम खाई
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