Information about kailash mandir aurangabad: कैलासा मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, एक अद्वितीय हिन्दू मंदिर है जो एकलिंग राजा ने 8वीं शताब्दी में बनवाया था। यह एक कार्यकला और वास्तुकला के अद्वितीय कृति है जिसे एक एकलिंग ने अपनी भक्ति का प्रतीक मानते हुए बनवाया था।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से एक एकलिंग द्वारा एक ही पत्थर से निर्मित किया गया है। मंदिर के निर्माण में लगभग 200 वर्षों की मेहनत और संघर्ष शामिल हैं, और इसमें कार्यकला, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
कैलासा मंदिर का निर्माण पूरी तरह से कैलास पहाड़ी के एक ही पत्थर से किया गया है और इसे ‘अबली’ कहा जाता है। मंदिर की सुंदर नकाशी और सजीवता ने इसे एक अद्वितीय आर्थिक और सांस्कृतिक दर्शनीयता के रूप में स्थानांतरित किया है। इसे एक भव्य शिव मंदिर के रूप में माना जाता है और यह एक महत्वपूर्ण पितृत्व स्थल भी है।
विषय सुची
कैलासा मंदिर का निर्माण
कैलासा मंदिर का निर्माण एकलिंग राजा ने 8वीं शताब्दी में किया था। इस मंदिर का निर्माण पत्थर की अद्वितीय बनावट के साथ किया गया है जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। यह पूरी तरह से एक पत्थर से निर्मित है, जिससे मंदिर को एक बड़े भव्य रूप में खड़ा करने में सफलता मिली है।
मंदिर का आकार और भव्यता
कैलासा मंदिर का आकार विशाल है और इसकी भव्यता दर्शकों को प्रभावित करती है। मंदिर का उच्चतम बिंदु शिखर 100 फीट से अधिक है, और यह आकर्षक नकाशीबद्ध सिर्पा (स्कलप्ट्यर) के साथ अलंकृत है। मंदिर के चारों ओर विभिन्न देवताओं और पौराणिक कथाओं की स्कलप्ट्यर्स हैं जो इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
कैलासा मंदिर की नकाशी
मंदिर की नकाशी अद्वितीयता में शीर्षक है। इसमें शिवलिंग के चारों ओर शिव परिवार के सदस्यों की सुंदर स्कलप्ट्यर्स हैं, जिनमें भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, और नंदि शामिल हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर अस्तिक और नास्तिक की उपस्थिति को दर्शाने वाली स्कलप्ट्यर्स भी हैं, जो इसकी साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता को दर्शाते हैं।
मंदिर की अनूठी बनावट
कैलासा मंदिर की अनूठी बनावट ने इसे एक अद्वितीय आर्थिक और सांस्कृतिक दर्शनीयता के रूप में प्रस्तुत किया है। इसे एक सुंदर संगमरमर पत्थर से निर्मित किया गया है जिसमें शिल्पकला की श्रेष्ठता है। मंदिर की मुख्य गुंबद और उसके आस-पास की बनावट में अनेक शैलियों का संगम है, जिससे यह एक समृद्धि और विविधता का प्रतीक बन जाता है।
धार्मिक महत्व
कैलासा मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है जो शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां पर्वों और व्रतों के दौरान भक्त यहां आकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और शिव की पूजा अर्चना करते हैं।
विश्वासित इतिहास
कैलासा मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था, और इसका निर्माण एकलिंग राजा ने किया था। इसके निर्माण के दौरान राजा ने अपनी शिव भक्ति को प्रकट करने के लिए इस मंदिर की रचना की थी। इसमें उनकी अद्वितीय भक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
मंदिर की सुंदर नकाशी
मंदिर की सुंदर नकाशी ने इसे एक अद्वितीय कला के क्षेत्र में स्थापित किया है। शिव परिवार की स्कलप्ट्यर्स ने मंदिर को एक पूर्ण और अद्वितीय स्थल के रूप में उभारा है। इसमें अनेक चित्रशिल्प कला के उदाहरण हैं जो मंदिर की साहित्यिक महत्वपूर्णता को बढ़ाते हैं।
मंदिर का वास्तुकला और स्थान
वास्तुकला और स्थान भी इसे एक अद्वितीय और अभूतपूर्व स्थल बनाते हैं। इसका स्थान और आस-पास का परिदृश्य मंदिर को एक प्राचीन और प्राकृतिक स्थल के रूप में रखता है। इसकी वास्तुकला में अनेक शैलियों का संगम है जो इसे भव्य बनाता है।
कैलासा मंदिर का प्रभाव
कैलासा मंदिर का प्रभाव देखने वालों पर अद्वितीय होता है। इसकी ऊँचाई, सुंदरता, और भव्यता ने इसे एक आकर्षक स्थल बना दिया है। यह धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, और भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल के रूप में माना जाता है।
समापन
कैलासा मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, एक अद्वितीय हिन्दू मंदिर है जिसकी भव्यता, नकाशी, और स्थान ने इसे एक प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक, और कला स्थल के रूप में उभारा है। इसका निर्माण एकलिंग राजा ने 8वीं शताब्दी में अपनी भक्ति और समर्पण के साथ किया, और इसे एक अद्वितीय और साहसी उपलब्धि के रूप में दृढ़ीकरण किया गया है।
निष्कर्ष (Information about kailash mandir aurangabad)
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FAQ
Q. एलोरा में कैलाशनाथ मंदिर के बारे में ऐसा क्या खास है?
A. एलोरा का कैलाश मंदिर राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा भगवान शिव के मंदिर के रूप में बनाया गया था। शायद, इसका मतलब शिव के रहस्यमय निवास स्थान कैलाश पर्वत का हमशक्ल होना था। कैलाश मंदिर एक अकेला, बहुमंजिला मंदिर परिसर है, जो भगवान शिव के पौराणिक घर – कैलाश पर्वत की तरह दिखता है।
Q. कैलाश मंदिर के निर्माता कौन है?
A. कैलाश (मंदिर) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई0) में निर्मित कराया था। यह एलोरा (जिला छत्रपती संभाजीनगर) स्थित लयण-श्रृंखला में है।
Q. कैलाश मंदिर का आविष्कार किसने किया था?
A. सही उत्तर कृष्ण प्रथम है। कैलाशनाथ मंदिर जिसे कैलाश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इसके निर्माण का श्रेय आम तौर पर आठवीं शताब्दी के राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम (756-773) को दिया जाता है।
Q. कैलाश मंदिर कैसे बना?
A. कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने में एलोरा के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दोमंजिला मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है कि प्राय: 30 लाख हाथ पत्थर इसमें से काटकर निकाल लिया गया है।
Q. कैलाश का रहस्य क्या है?
A. कैलाश पर्वत अपने आप कई रहस्यों समेटे हुए है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पर्वत के पास प्राचीन धन कुबेर की नगरी है. मान्यता तो यह भी है कि जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में अच्छे और पुण्य कर्मों को करता है. मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को कैलाश पर्वत पर स्थान प्राप्त होता है।